Friday, August 16, 2013

रेलवे की कर्मचारियो के प्रति जमीनी हकीकत

फायर-मई -२०१३ 
प्रकाशन स्थल - कोटा / राजस्थान 

नेशनल औधोगिक ट्रिब्यूनल  से समाचार  । 

१८ अप्रैल २०१३ को इस ट्रिब्यूनल में सुनवाई थी । लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी थी क्युकी जज साहब छुट्टी पर थे । सुनवाई की अगली तारीख १७ मई २०१३ को निर्धारित की गयी थी । इस दिन रेलवे के तरफ से दो वकील और चार excutive डायरेक्टर उपस्थित हुए थे । शुरुआत में  रेलवे ने कहा की आल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन , एक असोसिएसन है और  इस ट्रिब्यूनल में नहीं आना चाहिए था , तब एम.एन. प्रसाद /महासचिव / ऐल्र्स ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश दिखाए जिसमे कहा गया है  कि असोसिएसन की बात सुनने और  समस्याओ के निराकरण के लिए प्रशासन कभी मना नहीं करेगा तथा यथा संभव समस्याओ का निदान करेगा । क्युकी असोसिएसन ट्रेड यूनियन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होते है । 
रेलवे बोर्ड के निर्देशकों की इस बात को ट्रिब्यूनल अध्यक्ष ने भी , इसे श्रम मंत्रालय में दखल मानते हुए आपत्ति जताई । 

दूसरा -एम्,एम्,प्रसाद जी ने  रेलवे द्वारा गठित २५ मई २०१३ की  एम्पोवेर कमिटी को सिर्फ एक धोखा बताया जिस पर जज साहब ने अपनी सहमति जताई तथा रेलवे बोर्ड के EDs से इसे डिसमिस करने के लिए कहा । रेलवे तीन बड़ी फाइल लेकर आई थी । ऐल्र्स उसकी अध्ययन करके १५ जुलाई २०१३ को अपनी पक्ष रखेगा । 

यह है रेलवे की कर्मचारियो के प्रति जमीनी हकीकत । न करेंगे और न सुलझाएंगे । 

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